इस बार अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव कई मामले में अनोखा है। भले ही अमेरिकी आबादी में भारतीयों की हिस्सेदारी 1% है, लेकिन उनका राजनीतिक और वित्तीय दबदबा कहीं ज्यादा है। बीते साल राष्ट्रपति चुनावों के लिए कैंपेन शुरू होने से लेकर अब तक भारतीय राष्ट्रपति उम्मीदवारों के लिए 43 करोड़ की फंडिंग कर चुके हैं। इनमें से राष्ट्रपति ट्रम्प को कैंपेन के लिए 7.32 करोड़ रुपए मिले हैं। जबकि 2016 में भारतीयों ने ट्रम्प के लिए 29 करोड़ रुपए की फंडिंग की थी।
इनमें हाउडी मोदी इवेंट कराने वाले बिजनेसमैन शलभ कुमार ने सबसे ज्यादा 10 करोड़ रुपए दिए थे। वहीं कमला हैरिस को अपना डिप्टी चुनने के बाद डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के लिए समर्थन और फंडिंग में उछाल आया है। हालिया सर्वे के मुताबिक, 72% से अधिक प्रवासी बाइडेन के लिए वोट करेंगे। इस बड़े समर्थन का नजारा तब देखने मिला, जब भारतीयों ने बाइडेन के लिए एक ही रात में वर्चुअल इवेंट के जरिए 24 करोड़ रुपए जुटा लिए।
यह एक रात में जुटाया गया सबसे बड़ा चुनावी चंदा था। इसमें बड़े दानदाताओं ने ही 14.65 करोड़ के चेक बाइडेन-हैरिस कैंपेन के लिए दिए। फंड जुटाने वालों में से एक सूरज अरोरा कहते हैं, ‘ट्रम्प प्रधानमंत्री मोदी से अपनी दोस्ती को बेहद मजबूत बताते हैं लेकिन भारतीय अमेरिकियों से फंड जुटाने और उन्हें अपनी तरफ करने में वे पीछे हैं। उनकी नीतियां भारतीयों और भारतीय व्यापार के लिए खराब हैं। मोदी से दोस्ती बढ़ाते ट्रम्प को देखना अच्छा लगता लेकिन उन्होंने एंटी-इमिग्रेंट पॉलिसी से इसे नुकसान पहुंचाया है।
एच1बी1 वीसा पर उन्होंने कितनी पाबंदियां लगाई हैं। इसकी जगह बाइडेन ने भारतीय मूल की कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनकर भारतीय अमेरिकियों का भरोसा जीता है।’ अरोरा दो दशक पहले अमेरिका आए थे। वे आईटी और कम्प्यूटर से जुड़े बिजनेस में हैं। बीते साल जब कमला हैरिस राष्ट्रपति पद की रेस से हटी थीं, तब तक उन्होंने भारतीय अमेरिकियों से 2.83 करोड़ रुपए जुटा लिए थे। उनके बाद तुलसी गबार्ड थीं, जिन्होंने प्रवासियों से 2.74 करोड़ इकट्ठा किए थे। तीसरे स्थान पर कोरी बुकर थे जिन्हें भारतीय अमेरिकियों से 1.82 करोड़ मिले थे।
भारतीय चाहते हैं: बाइडेन और हैरिस अनुच्छेद 370 पर साथ दें
डेमोक्रेट्स के लिए फंड जुटाने वाली कमेटी के नजदीकी लोगों के मुताबिक, भारतीय चाहते हैं कि बाइडेन-हैरिस कश्मीर और आर्टिकल 370 के मुद्दे पर भारत का साथ दें। पूर्व में दोनों ही नेताओं ने इस फैसले की आलोचना की थी। दूसरी ओर, इस चुनावी मौसम में भारतीयों ने ट्रम्प के प्रति उतना समर्थन नहीं दिखाया, जितना पिछली बार दिखाया था।
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