Recents in Beach

Showing posts from November, 2020Show all
दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर आज भी बंद, दोपहर 3 बजे सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया

केंद्र के कृषि बिलों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन का आज छठा दिन है। हरियाणा से लगे दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर को पुलिस ने आज लगातार दूसरे दिन बंद कर रखा है। किसानों से 3 दिसंबर को बातचीत करने पर अड़ी सरकार ने सोमवार को जिद छोड़ दी और 1 दिसंबर यानी आज दोपहर 3 बजे 32 किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए विज्ञान भवन बुलाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जो किसान नेता 13 नवंबर की मीटिंग में शामिल थे, उन्हें वार्ता में शामिल होने का न्योता दिया गया है। सरकार से बातचीत से पहले किसान नेता मीटिंग कर आगे की स्ट्रैटजी तय करेंगे।

केंद्र के तीनों नए कृषि बिलों के खिलाफ पंजाब में तो प्रदर्शन पहले से चल रहा था, लेकिन 6 दिन पहले पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली कूच कर दिया। पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया। सरकार ने किसानों से कहा कि वे प्रदर्शन खत्म कर बुराड़ी आ जाएं तो बातचीत पहले भी हो सकती है।

गृह मंत्री-कृषि मंत्री ने 24 घंटे में 2 बार मीटिंग की
किसानों ने सरकार की शर्त नहीं मानी, बल्कि रविवार को कहा कि अब दिल्ली के 5 एंट्री पॉइंट्स को सील करेंगे। किसानों ने कहा कि वे 4 महीने का राशन-पानी साथ लेकर आए हैं। इसके बाद सरकार में बैठकों का दौर शुरू हुआ। रविवार रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक की। सोमवार को फिर मीटिंग हुई। गृह मंत्री के घर हुई बैठक में कृषि मंत्री और भाजपा के कई नेता मौजूद रहे।

सरकार ने कहा- कोरोना, सर्दी की वजह से जल्द बातचीत
सोमवार की बैठक के बीच ऐसे संकेत मिल रहे थे कि सरकार किसानों को बिना शर्त बातचीत का न्योता भेज सकती है। हुआ भी वही, देर रात सरकार ने प्रस्ताव भेज दिया। हालांकि, कृषि मंत्री ने जल्द वार्ता के लिए तैयार होने की वजह बढ़ता कोरोना संक्रमण और सर्दी को बताया।

अपडेट्स

पंजाब किसान संघर्ष समिति के जॉइंट सेक्रेटरी सुखविंदर ने कहा है कि देश में किसानों के 500 से ज्यादा संगठन हैं। सरकार ने सिर्फ 32 समूहों को बुलाया है। जब तक सभी संगठनों को नहीं बुलाया जाता, हम बातचीत में शामिल नहीं होंगे।

हरियाणा की 130 खाप पंचायतें आज किसान आंदोलन में शामिल होंगी। उधर, पंजाब में भी पंचायतों ने हर घर से एक मेंबर को धरने में शामिल होने के लिए कहा है।

दिल्ली की टैक्सी और ट्रांसपोर्ट यूनियन भी सोमवार को किसानों के समर्थन में आ गई। उन्होंने कहा कि अगर 2 दिन में कोई हल नहीं निकला तो हड़ताल करेंगे।

27 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर हुए हंगामे को लेकर अलीपुर थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

32 साल बाद दिल्ली के दरवाजे पर ऐसा संघर्ष
सिंघु बॉर्डर 32 साल बाद सबसे बड़े किसान आंदोलन का गवाह बना है। 1988 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के 5 लाख किसान यहां पर जुटे थे।

सोमवार की फोटो सिंघु बॉर्डर पर जमा किसानों की है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

फोटो सिंघु बॉर्डर की है। किसानों का कहना है कि वे 4 महीने का राशन लेकर आंदोलन करने आए हैं।
नवंबर में एक्टिव केस में 1.35 लाख की गिरावट आई, यह अक्टूबर से 2.35 लाख कम

देश में सोमवार को कोरोना के 31 हजार 179 केस आए, 42 हजार 282 मरीज ठीक हो गए और 482 की मौत हो गई। नवंबर में कुल 12.79 लाख केस आए। इनमें से 13.99 लाख मरीज ठीक हो गए, जबकि 15 हजार 508 मरीजों की मौत हो गई। इससे एक्टिव केस में 1.35 लाख की गिरावट दर्ज की गई। यह अक्टूबर से 2.35 लाख कम है। तब 3.70 लाख केस कम हुए थे।

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 94.63 लाख हो गया है। इसमें 88.73 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो गई। अभी 4 लाख 40 हजार मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

कोरोना अपडेट्स

दिल्ली में टेस्टिंग बढ़ाने के मकसद से राज्य सरकार ने लोगों को बड़ी राहत दी है। अब राजधानी के प्राइवेट लैब में 800 रुपए में ही कोरोना टेस्ट होंगे। अब तक इसके लिए 2400 रुपए देना पड़ता था। सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका ऐलान किया। कहा कि इससे राज्य में ज्यादा से ज्यादा लोग टेस्ट करा पाएंगे। राज्य सरकार की ओर से तैयार लैब्स में पहले की तरह फ्री में ही टेस्ट होंगे।

वाइस प्रेसिडेंट वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत ने कोरोनावायरस पैनडैमिक से बहादुरी से लड़ाई लड़ी है। अर्थव्यवस्था भी जल्द ही स्थिर होगा। भारत में मृत्यु दर दुनिया में सबसे कम है। ग्लोबल स्तर पर इसकी सराहना हुई है।

सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर 4 दिसंबर यानी शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस मीटिंग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। सरकार ने कोरोना पर दूसरी बार ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है। मोदी की वैक्सीन कंपनियों से चर्चा के बाद यह पहली अहम बैठक होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ. रेड्डीज की टीमों से चर्चा की। इन कंपनियों के वैक्सीन ट्रायल अलग-अलग स्टेज में हैं। प्रधानमंत्री ने इन्हें सलाह दी कि आम लोगों को वैक्सीन के असर जैसी बातों के बारे में आसान शब्दों में समझाने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट करें। इस चर्चा में वैक्सीन की डिलीवरी के लिए लॉजिस्टिक, ट्रांसपोर्ट और कोल्ड चेन के मुद्दों पर भी बात हुई।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि अगले साल जुलाई-अगस्त तक देश के 25 से 30 करोड़ लोगों तक वैक्सीन पहुंच जाएगी। इसी के अनुसार सरकार तैयारी कर रही है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द वैक्सीन हर एक व्यक्ति तक पहुंचाने की कोशिश करेगी।

ओडिशा सरकार ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, राज्य में 31 दिसंबर तक बड़े स्तर होने वाले सोशल, पॉलिटिकल, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट, एकेडमिक, कल्चरल, रिलीजियस कार्यक्रमों पर प्रतिबंध रहेगा। डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल और मास एजुकेशन क्लास 9-12वीं तक के स्कूल खोलने पर खुद फैसला ले सकेगा। सभी तरह के एकेडमिक, टेक्निकल, स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट भी 31 दिसंबर तक बंद रहेंगे। केवल मेडिकल कॉलेज खुलेंगे।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

यहां सोमवार को एक बार फिर 100 से ज्यादा कोरोना मरीजों की मौत हुई। बीते 24 घंटे में 3726 नए मरीज मिले। 5824 लोग ठीक हुए और 108 की मौत हुई। अब तक 5 लाख 70 हजार 374 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 32 हजार 885 मरीजों का इलाज चल रहा है। 5 लाख 28 हजार 315 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 9174 हो गई है।

2. मध्यप्रदेश

राज्य में सोमवार को 1383 नए मरीज मिले। 1576 लोग ठीक हुए और 10 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 6 हजार 128 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 14 हजार 771 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 88 हजार 97 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3260 हो गई है।

3. गुजरात

सोमवार को राज्य में 1502 नए मरीज मिले। 1401 लोग ठीक हुए और 20 की जान चली गई। अब तक 2 लाख 9 हजार 780 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 90 हजार 921 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 14 हजार 870 मरीजों का इलाज चल रहा है। संक्रमण से मरने वालों की संख्या अब 3989 हो गई है।

4. राजस्थान

राज्य में सोमवार को लंबे समय बाद नए केस से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। पिछले 24 घंटे के अंदर 2677 नए मरीज मिले। 2762 लोग ठीक हुए और 20 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 68 हजार 63 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 28 हजार 653 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 37 हजार 98 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2312 हो गई है।

5. महाराष्ट्र

सोमवार को राज्य में 3837 नए मरीज मिले। 4196 लोग रिकवर हुए और 80 की जान चली गई। अब तक 18 लाख 23 हजार 896 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 90 हजार 557 मरीजों का इलाज चल रहा है। 16 लाख 85 हजार 122 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 47 हजार 151 हो गई है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Punjab Bihar Novel Corona (COVID 19) Death Toll India Today Mumbai Delhi Coronavirus News
हिमाचल में किसानों की आय में इजाफा, पंजाब में मेहनत के मुताबिक दाम नहीं, महाराष्ट्र में कंपनी नहीं देती मुआवजा

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दिल्ली को घेर रखा है। आरोप है कि सरकार कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है। भास्कर ने देश के उन पांच राज्यों से जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की जहां इन कानूनों के बहुत पहले से ही कंपनियों और किसानों के बीच कॉन्ट्रैक्ट का फॉर्मूला चल रहा है।

पंजाब: कंपनी माल खराब बता लौटा दे तो नुकसान किसान को उठाना पड़ता है

पंजाब में सिर्फ निजी कंपनियां ही नहीं सरकारी संस्था पंजाब एग्रो फूड ग्रेन इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाती है। मुख्यत: जौ, आलू, बेबी कॉर्न, मटर, ब्रोकली, स्वीट कॉर्न, सनफ्लावर, टमाटर, मिर्ची इत्यादि की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हो रही हैै। आलू की खेती करने वाले किसान रुपिंदर ने बताया कि किसान को प्राइवेट कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने पर कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता। बस उन्हें कंपनी की ओर से नया सीड जरूर मिल जाता है।

सब्जियों में कंपनियां खराब क्वालिटी या ग्रेडिंग की बात कहकर 30 से 40 क्विंटल का माल कई बार वापस कर देती है। जिसका नुकसान किसान को उठाना पड़ता है। वहीं, कई कंपनियां खराब क्वालिटी बताकर तय राशि से कम पेमेंट करती हैं। शुरुआत तीन-चार साल बाद किसानों को मेहनत के मुताबिक दाम नहीं मिलते। लुधियाना स्थित फील्डफ्रेश कंपनी के मैनेजर कमलजीत सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी किसानों को फिक्स प्राइस दिया जाता है।

महाराष्ट्र: राज्य में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए अब तक कोई गाइडलाइन तय नहीं

केंद्र कृषि कानूनों को महाराष्ट्र में लागू करने के लिए राज्य सरकार ने मंत्रियों की एक कमेटी का गठन किया है। हालांकि अब तक राज्य में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अपनाने वाले किसानों को फायदे से ज्यादा नुकसान ही हुआ है। राज्य में इसकी अब तक कोई गाइडलाइन भी तय नहीं है। यहां 5-6 कंपनियां आलू, कपास और सब्जियों की खेती का किसानों से कॉन्ट्रैक्ट करती हैं। पुणे जिले की खेड तहसील में आलू की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाले कैलाश आढवले कहते हैं कि कंपनी कम कीमत पर बीज और कीटनाशक देती है।

वैसे तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन यदि फसल को कोई नुकसान हुआ तो कंपनी कोई मुआवजा नहीं देती। पुणे के ही मंचर के किसान दीपक थोरात एक निजी कंपनी के लिए ब्रोकर का काम भी करते हैं। उनका कहना है कि ब्रोकर को 50 पैसे प्रति किलो कमीशन मिलता है। राज्य के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पांडुरंग सिगेदर का कहना है कि केंद्र के कानून में राज्य सरकार सिर्फ गिने-चुने निर्णय ले सकती है।

तमिलनाडु: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर कानून है, फिर भी किसानों के 143 करोड़ कंपनियों पर बकाया

तमिलनाडु कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर कानून बनाने वाला पहला राज्य है। अक्टूबर, 2019 में ही यहां एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एंड सर्विसेज एक्ट लागू है। कहने को इस एक्ट में केंद्र के कृषि कानूनों से भी बेहतर प्रावधान हैं। राज्य के कृषि सचिव गगनदीप सिंह बेदी कहते हैं कि राज्य के कानून के तहत किसानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बिल्कुल वैकल्पिक है। वह चाहें तो अपनी उपज मंडियों में बेच सकते हैं।

राज्य में किसानों के पास उपज बेचने के लिए भी तीन विकल्प हैं-सरकारी मंडियां, गैर सरकारी मंडियां और डायरेक्ट प्रोक्योरमेंट सेंटर्स। यदि कोई कंपनी किसान से खेती का कॉन्ट्रैक्ट एक तय मूल्य पर करती है और बाद में उस उपज के दाम गिर भी जाएं तो कंपनी को पहले से तय दर से ही भुगतान करना होगा। तिरुनेलवेल्ली जिले के कन्नीयन का परिवार दशकों से खेती करता है। उनकी मुख्य उपज गन्ना है और इसके लिए वह चीनी मिल मालिकों और कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट भी करते हैं। मगर इन्हें 18 माह से पेमेंट नहीं दिया।

हिमाचल प्रदेश: पहले सेब लेकर दिल्ली जाना पड़ता था, अब घर बैठे अकाउंट में आता है पैसा

शिमला के सेब उत्पादक किसान कहते हैं कि प्राइवेट प्रोक्योरमेंट सेंटर होने से उन्हें बहुत राहत मिली है और वे अब पहले से ज्यादा कमाई कर रहे हैं। उन्हें किसी बिचौलिए से डील नहीं करना पड़ता है। स्थानीय किसान बताते हैं कि उन्हें पहले सेब बेचने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। अब ये प्राइवेट सेंटर ही खरीदारी कर लेते हैं। किसाना 10-12 हजार कैरेट सेब इन सेंटरों पर बेच रहे हैं। सेंटर किसानों को सीधे उनके बैंक अकाउंट में भुगतान कर देते हैं। पहले ग्रेडिंग अधिकारी को काफी कमीशन देना पड़ता था।

अब इस राशि की बचत हो रही है। कुछ कंपनियां यहां साल 2006 से ही सेब की खरीदारी कर रही है। यहां किसानों से सेब खरीदने वाली एक कंपनी के अधिकारी ने कहा कि वे यहां के सेब अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचते हैं। इसलिए क्वालिटी पर बहुत ज्यादा ध्यान होता है औक करीब 12 फीसदी सेब रिजेक्ट हो जाते हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से स्थानीय स्तर पर रोजगार में भी इजाफा हुआ है।

केरल: कॉन्ट्रैक्ट नहीं को-ऑपरेटिव फार्मिंग पर जोर, अब तक सफलता भी मिली

राज्य सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के बजाय वह को-ऑपरेटिव फार्मिंग को बढ़ावा देगी। रगरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण जैसी योजनाओं को भी को-ऑपरेटिव फार्मिंग से जोड़ा गया है। कृषि मंत्री वी.एस. सुनील कुमार आरोप लगाते हैं कि केंद्र किसानों को बड़े कॉर्पोरेट्स के चंगुल में फंसा रहा है, हमारे राज्य में को-ऑपरेटिव फार्मिंग का सफल फॉर्मूला लागू है। सरकार इस व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए को-ऑपरेटिव्स को बैंक ऋण की राह भी आसान करेगी।

ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावाले बताते हैं कि को-ऑपरेटिव फार्मिंग का अर्थ है सामूहिक हिस्सेदारी और सामूहिक श्रम। राज्य में ब्रह्मगिरी डेवलपमेंट सोसाइटी (बीडीएस) जैसे को-ऑपरेटिव समूह इसी मॉडल पर काम करते हैं। वायनाड जिले में काम करने वाले बीडीएस का गठन ट्रेड लिबरलाइजेशन के दौर में हुआ था जब केरल के काली मिर्च और कॉफी जैसी फसलों की कीमतें अचानक गिरने से सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या कर ली थी।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

किसान फाइल फोटो
माउंट आबू में लगातार तीसरे दिन जमी बर्फ, बिहार में दिख रहा पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और तेज शीत लहर का असर

देश के उत्तरी इलाकाें में हाे रही बर्फबारी और पश्चिमी विक्षाेभ खत्म हाेने के साथ उत्तरी हवाएं सक्रिय हाेने से माउंट आबू में लगातार सर्दी का असर बना हुआ है। हालांकि साेमवार काे माउंट आबू का न्यूनतम तापमान 1 डिग्री बढ़ा है, लेकिन इससे सर्दी से काेई राहत नहीं मिली। माउंट आबू में साेमवार काे न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया।

तापमान 2 डिग्री पर रहने से यहां सवेरे जगह-जगह ओस की बूंदें बर्फ बनी नजर आई और देर तक वादियाें में भी काेहरा छाया रहा। माउंट आबू में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए यहां आने वाले सैलानियाें के साथ स्थानीय लाेग भी गर्म कपड़ाें में नजर आए तथा अलाव जलाकर सर्दी से बचने का जतन किया। यहां साेमवार सुबह मकानाें और हाेटलाें के बगीचाें की घास, नक्की झील पर खड़ी बाेट की सीटाें, मकानाें के बाहर खड़ी कार की छत और शीशाें पर बर्फ जम गई। गुरुशिखर, ओरिया और अचलगढ़ क्षेत्र में भी सवेरे मैदान और खेताें में ओस की बूंदें बर्फ में तब्दील हाे गई।

पटना: रात में बढ़ेगी ठंड, गिरेगा पारा, सुबह में रहेगी धुंध

पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और तेज शीत हर का असर बिहार पर भी पड़ेगा। न्यूनतम तापमान में कमी आएगी और रात में ठंड बढ़ेगी। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के वैज्ञानिक अमित सिन्हा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में नया सिस्टम बन रहा है, जिसका असर बिहार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन उत्तर भारत में तेज शीतलहर और बर्फबारी से आसपास के राज्याें में ठंड बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि तालाब और नदी के किनारे में मौजूद शहरों में सुबह में कोहरा भी छाया रहेगा।

सोमवार को भी पटना में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में आंशिक वृद्धि हुई। पटना का अधिकतम तापमान 26.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो रविवार की तुलना में 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक है, वहीं न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 0.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है। राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान गया में 9.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

माउंट आबू में पेड़ की टहनियाें पर जमी ओस की बूंदें।
मनी ट्रांसफर से इनकम टैक्स रिटर्न तक दिसंबर में आपके काम की जरूरी तारीखें

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

December Important Dates 2020 Updates; Chandra Grahan To ITR Filing Last Date, US Coronavirus Vaccine and More
मनी ट्रांसफर से इनकम टैक्स रिटर्न तक दिसंबर में आपके काम की जरूरी तारीखें

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

December Important Dates 2020 Updates; Chandra Grahan To ITR Filing Last Date, US Coronavirus Vaccine and More
दिल्ली बॉर्डर पर पांचवें दिन भी डटे रहे किसान; मोदी की काशी में देव दीपावली और कोरोना पर बड़ी कामयाबी

नमस्कार!
प्रधानमंत्री सोमवार को वाराणसी पहुंचे। सात घंटे तक वे अपने संसदीय क्षेत्र में रहे। यहां उन्होंने किसानों से लेकर राम तक की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना में काफी कुछ बदला, लेकिन काशी की शक्ति-भक्ति और ऊर्जा आज भी वैसी ही है। यहां के निवासी ही देव हैं, जो आज भी दीप जला रहे हैं।
बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

मौसम विभाग ने निवार के बाद बंगाल की खाड़ी में एक और तूफान की चेतावनी दी है। तमिलनाडु, केरल और लक्षद्वीप के तटीय इलाकों में 1 से 4 दिसंबर तक इससे भारी बारिश हो सकती है।

आज से रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानी RTGS सुविधा 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध रहेगी। अब लोग RTGS के जरिए साल के 365 दिन कभी भी पैसों का लेन-देन कर सकेंगे।

सरकार हर महीने की पहली तारीख को रसोई गैस यानी LPG सिलेंडरों के दामों की समीक्षा करती है। आज देशभर में रसोई गैस के दाम बदल सकते हैं। हालांकि, पिछले दो महीनों से इसके दाम नहीं बदले हैं।

देश-विदेश
मोदी बोले- किसानों को छलने वाले झूठा डर दिखा रहे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। उन्होंने प्रयागराज-वाराणसी 6 लेन हाईवे का लोकार्पण किया। यहां उन्होंने 40 मिनट के भाषण में 26 मिनट किसानों पर बात की। उन्होंने कहा कि MSP और यूरिया के नाम पर छल करने वाले अब कृषि कानूनों पर झूठा डर दिखा रहे हैं। मोदी ने कहा- मैं काशी की पवित्र धरती से कहना चाहता हूं कि अब छल से नहीं, गंगाजल जैसी नीयत से काम किया जा रहा है।

काशी विश्वनाथ का अभिषेक करने क्रूज से पहुंचे मोदी
मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर भी पहुंचे। यहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया। मंदिर पहुंचने के लिए मोदी ने क्रूज की सवारी की। विश्वनाथ कॉरिडोर का जायजा लेकर मोदी देव दीपावली में शामिल हुए। इसके बाद वे भगवान बुद्ध की तपस्थली सारनाथ गए।

पांचवें दिन भी जारी रहा किसानों का प्रदर्शन
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को 5वें दिन भी जारी रहा। किसानों ने दिल्ली के 5 एंट्री पॉइंट्स को सील करने की बात कही थी। इसके बाद पुलिस ने सिंघु और टिकरी बॉर्डर को आवाजाही के लिए बंद कर दिया। अब सरकार ने उन्हें मंगलवार को दोपहर 3 बजे बातचीत के लिए बुलाया है। इससे पहले 14 अक्टूबर और 13 नवंबर को भी सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था।

PM मोदी का मिशन कोरोना कवच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिन में दूसरी बार कोरोना वैक्सीन बनाने वाली टीमों से बात की। उन्होंने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ. रेड्डीज की टीमों से चर्चा की। पीएम ने लोगों को वैक्सीन के बारे में आसान भाषा में जानकारी देने की अपील की। मोदी ने शनिवार को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद के जायडस बायोटेक पार्क और हैदराबाद में भारत बायोटेक फैसिलिटी का दौरा किया था।

कोरोना पर 4 दिसंबर को ऑल पार्टी मीटिंग
सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर 4 दिसंबर यानी शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होने वाली इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। कोरोना पर ये दूसरी ऑल पार्टी मीटिंग होगी।

बाबा आमटे की पोती ने सुसाइड किया
कुष्ठ रोगियों के लिए आनंदवन संस्था चलाने वाले डॉक्टर बाबा आमटे की पोती डॉक्टर शीतल आमटे (41) ने सोमवार तड़के चंद्रपुर में अपने घर में आत्महत्या कर ली है। उन्होंने जहर का इंजेक्शन लगाकर जान दी। कुछ दिन पहले उन्होंने आमटे महारोगी सेवा समिति में घोटाले की बात कही थी। वे समिति की CEO थीं। जान देने से पहले शीतल ने सोशल मीडिया पर वॉर एंड पीस की एक्रेलिक पेंटिंग शेयर की थी।

भास्कर एक्सप्लेनर
कोरोना ने एविएशन इंडस्ट्री को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि दुनियाभर में एविएशन इंडस्ट्री को 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट्स तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट्स अभी भी पूरी तरह ऑपरेशनल नहीं हैं। इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA ने कोविड पासपोर्ट का प्लान पेश किया है।

पढ़ें पूरी खबर...

पॉजिटिव खबर
आज कहानी इलाहाबाद की गीता जायसवाल की। कभी एक-एक रुपए के लिए परेशान थीं। टिफिन सेंटर शुरू करने से लेकर इडली-सांभर के स्टॉल तक की उनकी कहानी बेहद इंस्पायरिंग है। एक टिफिन से पूरा बिजनेस खड़ा किया। कोरोना के चलते जब काम ठप हो गया, तो उन्होंने नए सिरे से शुरुआत की। अब वे इडली-सांभर और डोसा का स्टॉल लगाती हैं। महीने में 40 से 45 हजार रुपए की कमाई होती है।

पढ़ें पूरी खबर...

ब्रह्मपुत्र पर चीन बनाएगा सबसे बड़ा बांध
चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर अब तक का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। अगले साल से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा। इससे भारत और बांग्लादेश की चिंता बढ़ गई है। दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र के पानी का इस्तेमाल करते हैं। भारत ने चीन से ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते का पालन करने को कहा है।

कुछ मामलों में मॉडर्ना की वैक्सीन 100% असरदार
अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना ने बताया कि वह अपनी कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए अमेरिका और यूरोपियन रेगुलेटर्स को अप्लाई करेगी। वैक्सीन के लास्ट स्टेज ट्रायल के बाद कंपनी ने दावा किया कि यह कोरोना से लड़ने में 94% तक कारगर है। कुछ गंभीर मामलों में तो इसने 100% असर दिखाया है।

सुर्खियों में और क्या है...

दिल्ली में अब प्राइवेट लैब में 800 रुपए में कोरोना टेस्ट कराया जा सकेगा। सीएम अरविंद केजरीवाल ये जानकारी दी।

कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें अब यूरोप में हो रहीं हैं। इटली, पोलैंड, रूस, यूके, फ्रांस समेत 10 देशों में हर दिन 3 से 4 हजार लोग दम तोड़ रहे हैं।

जापान के क्राउन प्रिंस फुमिहितो ने अपनी बेटी माको को बॉयफ्रेंड केई कोमुरो से शादी करने की इजाजत दे दी है। शादी लंबे समय से टल रही थी।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Top News Today, News, Cricket News, Farmers Protest News: Dainik Bhaskar Top News Morning Briefing Today: Modi said in Kashi - those who opposed the farmers laws cheated, Ganga water in our mind
विरोध का न्यू नॉर्मल, प्रोटेस्ट फ्रॉम होम करके तो देखो

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Protest's new normal, Protest from home
सादगी का मतलब गरीबी में जीना नहीं होता, अपनी सभी चीजों का सही उपयोग करना ही सादगी है

कहानी- घटना महात्मा गांधी से जुड़ी है, जब वे दक्षिण अफ्रीका में वकालत कर रहे थे। गांधीजी सादगी से जीवन जीने पर विश्वास करते थे। एक दिन उन्हें अपने घर का बजट बनाया तो देखा कि कपड़े धुलवाने के लिए काफी पैसे खर्च हो रहे हैं। वकील थे, तो वे अपनी शर्ट के ऊपर कॉलर बदल-बदलकर पहनते थे।

गांधीजी ने सोचा, 'शर्ट को रोज धोने की जरूरत नहीं है, लेकिन कॉलर तो रोज धोनी ही पड़ती है। इसके लिए धोबी को काफी पैसा देना पड़ता है, तो अब से मैं अपने कपड़े खुद धोना शुरू करूंगा।'

कॉलर में कलफ लगाना पड़ता था, जिससे वह कड़क रहे। गांधीजी ने कपड़े धोने का नया काम सीखा था तो एक दिन कॉलर पर कलफ ज्यादा लग गया। ऐसी ही कॉलर लगाकर वे अपने काम पर चले गए।

गांधीजी के साथी वकीलों ने देखा कि उनकी कॉलर से कुछ गिर रहा है। इस बात का सभी वकीलों ने मजाक बनाया और कहा कि क्या हमारे यहां धोबियों का अकाल पड़ गया है। तब गांधीजी ने कहा, 'अपने कपड़े खुद धोना कोई छोटी बात नहीं है। कोई भी नया काम सीखते हैं तो जीवन में काम ही आता है।'

गांधीजी कुछ ही समय में कपड़े बहुत अच्छी तरह धोने लगे और वे प्रेस भी बहुत अच्छी तरह करने लगे थे। काफी समय बाद उन्हें इसका फायदा भी मिला।

एक बार गोपालकृष्ण गोखले को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सम्मान समारोह जाना था। वहां गोखले जी का ही सम्मान होना था। उस समय उनके पास एक खास चादर थी। ये चादर उन्हें स्व. महादेव गोविंद रानाडे ने दी थी। इस वजह से वे चादर बहुत संभालकर रखते थे।

गोखले जी वही चादर ओढ़कर सम्मान समारोह में जाना चाहते थे, लेकिन चादर पर सिलवटें पड़ रही थीं। उस समय वहां कोई धोबी भी नहीं था। तब गांधीजी ने कहा, 'ये चादर मुझे दीजिए, मैं इसे प्रेस कर देता हूं।'

गोखले जी ने व्यंग्य करते हुए कहा, 'तुम्हारी वकालत पर तो मैं भरोसा कर सकता हूं, लेकिन धोबीगिरी पर भरोसा नहीं कर सकता। तुम मेरी प्रिय चादर बिगाड़ दोगे।'

तब गांधीजी ने इस बात कि जिम्मेदारी ली कि चादर खराब नहीं होगी। इसके बाद गांधीजी ने चादर बहुत अच्छी प्रेस कर दी। चादर देखकर गोखले जी ने कहा, 'गांधी तुम सच में निराले हो, जो भी काम करते हो, पूरे मन से करते हो।'

सीख- अपने निजी काम खुद करना चाहिए। अपने काम खुद करने का मतलब गरीबी में जीना नहीं होता। अपनी सभी चीजों का सही उपयोग करना और अपने काम खुद करना ही सादगी है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, life management tips by vijayshankar mehta, story of mahatma gandhi
कोरोना ने खत्म किया बिजनेस तो इंडली-सांभर का स्टॉल लगाया, हर महीने 50 हजार कमा रहीं

आज कहानी इलाहाबाद की गीता जायसवाल की। कभी एक-एक रुपए के लिए परेशान थीं। बेटी की पढ़ाई तक अच्छे से नहीं करवा पा रहीं थीं। आज महीने का 50 हजार रुपए कमाती हैं। टिफिन सेंटर शुरू करने से लेकर इडली-सांभर के स्टॉल तक की उनकी कहानी इंस्पायरिंग है। ये कहानी जानिए उन्हीं की जुबानी...

गीता बताती हैं- ये बात इलाहाबाद की है। तब मैं पति के साथ रहती थी। एक छोटी बच्ची थी। पति जो कमाते थे, उससे बमुश्किल घर चल पाता था। मेरे पास अपनी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के भी पैसे नहीं होते थे। बच्ची की अच्छी पढ़ाई-लिखाई भी हम नहीं करवा पा रहे थे।
उन्होंने कहा, 'मैं सोच रही थी कि, ऐसा क्या करूं, जिससे चार पैसे कमा सकूं। किसी ने मुझे टिफिन सेंटर शुरू करने की सलाह दी। मैं एक लड़की को टिफिन देने लगी। कुछ दिन बाद एक पीजी का काम मुझे मिल गया। वहां 15 बच्चों के लिए खाना देना था। तब मैं 1800 रुपए में तीन टाइम खाना दिया करती थी। सुबह से देर रात तक मेहनत होती थी, लेकिन इससे मेरे पास महीने के आठ से दस हजार रुपए बचने लगे थे।'

'खाना अच्छा था तो धीरे-धीरे टिफिन बढ़े और संख्या 40 तक पहुंच गई। 2011 से 2016 तक यही चलता रहा। फिर उस पीजी का काम बंद हो गया तो ग्राहक भी चले गए। नए ग्राहक मिल नहीं रहे थे। इलाहाबाद में मैं कुछ और कर नहीं सकती थी, क्योंकि बेइज्जती का डर था। मेरी एक बहन दिल्ली में रहती थी तो मैं 2016 में ही अपनी बच्ची को लेकर दिल्ली आ गई। मकसद साफ था कि खाने-पीने से जुड़ा कुछ काम करना है।'

गीता ने इस तरह से बिजनेस की शुरूआत की थी। कहती हैं, इतने पैसे भी नहीं थे कि अपना ठेला लगा सकें।

दिल्ली में पहला बिजनेस फेल हो गया
वो बताती हैं कि मैं अपनी दिल्ली वाली बहन के घर में ही रहने लगी और कुछ दिनों बाद पूड़ी-कचौड़ी, ब्रेड पकौड़ा बेचने का स्टॉल लगाया, लेकिन वो काम ज्यादा चला नहीं। ग्राहक नहीं मिल रहे थे तो मैंने फिर टिफिन सेंटर शुरू करने का सोचा। जहां रहती थी, वहां सब जगह पर्चे चिपका दिए। कई दिनों बाद एक ऑर्डर मिला। जिसने ऑर्डर दिया, वो IAS की तैयारी कर रहा था। उसे खाना अच्छा लगा तो उसके जरिए इंस्टीट्यूट के कई लड़कों ने टिफिन लेना शुरू कर दिया। मैंने साढ़े तीन हजार रुपए में तीन टाइम मील दिया करती थी। काम अच्छा सेट हो गया था। महीने का 35 से 40 हजार रुपए निकलने लगे थे। चार साल ये सब चलते रहा लेकिन मार्च 2020 में सब बंद हो गया।

कोरोना ने टिफिन का बिजनेस जीरो पर ला दिया
उन्होंने कहा- चार दिन में ही मेरे टिफिन 60 से घटकर 4 पर आ गए। मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। फिर किसी ने बताया कि कोरोना वायरस आया है, इसलिए सब जा रहे हैं। मेरा पूरा जमा हुआ काम बंद हो गया। कुछ दिनों में जो जुड़ा पैसा था, वो भी खत्म होने लगा तो मैं एक हार्ट पेशेंट की देखरेख की काम करने लगी। उन्हीं के घर रहती थी। बच्ची को उसकी मौसी के पास छोड़ दिया था। तीन महीने तक वहीं रही।

अब गीता का बिजनेस पूरी तरह सेट हो चुका है। फूड स्टॉल के लिए जरूरी सेटअप भी उन्होंने खड़ा कर लिया।

इडली-सांभर के स्टॉल से मिली सक्सेस, अब महीने की बिक्री 90 हजार की
वो बताती हैं- जुलाई में दोबारा अपने घर आई तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। किराया देना था। बच्ची की स्कूल-ट्यूशन की फीस देना थी। बड़ी हिम्मत करके मैंने एक बार फिर फूड स्टॉल शुरू किया, लेकिन इस बार इडली-सांभर बेचने का सोचा, क्योंकि इसमें लागत कम आती है और हर उम्र के लोग ये पंसद करते हैं। 28 जुलाई को काम शुरू किया था। कुछ दिनों में ही बिजनेस अच्छा सेट हो गया। मैं शालीमार बाग में स्टॉल लगाती हूं। शाम 5 से रात 10 बजे तक स्टॉल लगता है। 40 से 50 ग्राहकों का आना आम बात है। इडली के साथ ही डोसा भी बेचती हूं। अब एक दिन का तीन से साढ़े तीन हजार रुपए का बिजनेस है। सब काटकर महीने का 40 से 45 हजार रुपए बच जाता है।'

गीता कहती हैं कि सोशल मीडिया पर वीडियो बनाने वाले कई लोगों ने मेरी मदद भी की। इसी काम को अब आगे बढ़ाना है। अब टिफिन सेंटर नहीं चलाऊंगी। कोरोना ने पहले मेरे लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी कर दी थी, लेकिन इसी से मैं एक नए बिजनेस पर शिफ्ट हो पाई और अभी सब ठीक चल रहा है। सबकी उधारी चुका दी। बच्ची की कोचिंग-स्कूल की फीस भी भर दी। उसे ज्यादा से ज्यादा पढ़ाना-लिखाना और कुछ बनाना ही मेरा सपना है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

मार्च में गीता का टिफिन सेंटर का काम एकदम से बंद हो गया। जुलाई में उन्होंनें नए बिजनेस से शुरूआत की और अब पहले से ज्यादा कमाती हैं।
पिछले 6 साल में 10 राज्यों में BJP की सरकार बनी और 7 में CM; 4 में अभी भी इंतजार

हैदराबाद में निकाय चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। इससे पहले यहां का चुनावी कैंपेन सुर्खियों में रहा। राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे खासी तवज्जो मिली। इसके पीछे वजह रही BJP के बड़े नेताओं का मैदान में उतरना। गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के फायरब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गजों ने यहां रोड शो और रैलियां कीं। अब सवाल उठता है कि आखिर निकाय चुनाव के लिए BJP बड़े नेताओं को क्यों मैदान उतार रही है। 90 के दशक में तो अटल-आडवाणी विधानसभा चुनावों में भी ऐसा कैंपेन नहीं करते थे।

दरअसल, तब की भाजपा और अब की भाजपा और उसकी पॉलिटिकल स्ट्रेटजी में बहुत कुछ बदला है। इसे समझने के लिए हमें फ्लैशबैक में जाना होगा। 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश में भाजपा की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह मैन ऑफ द मैच। इस पॉलिटिकल टूर्नामेंट को जीतने के दो महीने बाद भाजपा की कमान अमित शाह को सौंप दी गई। इसके बाद मोदी-शाह की जोड़ी ने अपनी टीम और रणनीति दोनों नए सिरे से गढ़ना शुरू किया। पी टू पी यानी पंचायत से पार्लियामेंट के फार्मूले पर काम करना शुरू किया।

पार्टी के बड़े नेताओं को बूथ स्तर तक जाकर जमीन तैयार करने को कहा गया। खुद अमित शाह ने पन्ना प्रमुखों के साथ बैठकें शुरू कीं। कोशिश रही कि हर राज्य में भाजपा की सरकार हो या वह सरकार में रहे। इसके लिए उन्होंने जोड़-तोड़ से भी गुरेज नहीं किया और एक के बाद एक राज्यों में भाजपा की सरकार बनती गई। खासकर गैर हिंदी राज्यों में।

2014 लोकसभा के दौरान ही ओडिशा में विधानसभा के चुनाव हुए थे। तब भाजपा को सिर्फ 10 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद अमित शाह ने यहां के निकाय चुनावों में जोर लगाना शुरू किया। बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और झारखंड के तब के सीएम रघुवर दास ने कैम्पेन का मोर्चा संभाला। पार्टी को इसका फायदा भी हुआ और 297 सीटों पर जीत मिली। तभी लगने लगा था कि अब भाजपा वहां मजबूती से पैर पसार रही है और उसका असर अगले विधानसभा और 2019 के लोकसभा में भी देखने को मिला। बूथ स्तर तक जाकर राजनीति करने का ही नतीजा था कि लोकसभा में भाजपा को 8 और विधानसभा में 23 सीटें मिलीं।

GHMC के चुनाव में भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है। रविवार को सिकंदराबाद में गृह मंत्री अमित शाह ने रोड शो किया।

2014 के आखिर में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हुए। भाजपा छोटे भाई की भूमिका में नहीं रहना चाहती थी और शिवसेना से अलग होकर अकेले मैदान में उतरी। वह राज्य में सबसे बड़े दल के रूप उभरी। उसे 122 सीटें मिलीं। सबसे बड़ी बात की महाराष्ट्र में भाजपा का पहली बार मुख्यमंत्री बना। इसके पहले भाजपा महाराष्ट्र में छोटे भाई की ही भूमिका में होती थी। 2019 के चुनाव में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन शिवसेना ने गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस और NCP के साथ सरकार बना ली।

2014 में ही जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा के लिए चुनाव हुआ। इसमें भाजपा को बड़ी सफलता मिली। PDP के बाद वो सबसे बड़ी पार्टी बनी और 25 सीटें जीतीं। एक रणनीति के तहत भाजपा PDP के साथ सरकार में शामिल हो गई। हालांकि, ज्यादा दिन दोनों की दोस्ती नहीं चली और ढाई साल बाद BJP अलग भी हो गई।

2016 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पुड्डुचेरी और असम विधानसभा के चुनाव हुए। भाजपा ने पश्चिम बंगाल, केरल और असम पर ज्यादा जोर लगाया। अमित शाह ने पश्चिम बंगाल और केरल में जोरदार प्रचार किया, जबकि मोदी ने असम का मोर्चा संभाला। असम में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता मिली। उसने 86 सीटें हासिल करके कांग्रेस के एक दशक के शासन का अंत कर दिया, लेकिन पश्चिम बंगाल में भाजपा सिंगल डिजिट में ही रह गई।

हालांकि, तब भाजपा बंगाल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रही। उसका फायदा लोकसभा चुनाव में हुआ और पहली बार भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी और 18 सीटें हासिल कीं। इस बार सत्ता की सीधी लड़ाई भाजपा और टीएमसी के बीच है। हाल ही में अमित शाह बंगाल दौरे से लौटे हैं।

केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में भाजपा की दाल नहीं गली। केरल में सिर्फ एक सीट पर BJP को जीत मिली, जबकि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में खाता नहीं खुला। अरुणाचल प्रदेश में 2016 में काफी राजनीतिक उठापटक हुई। यहां कांग्रेस के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने 43 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। अब पेमा खांडू बीजेपी से अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

2017 में अगर गैर हिंदी भाषी राज्यों की बात करें तो पंजाब, गुजरात, मणिपुर और गोवा में चुनाव हुए। इनमें से पंजाब को छोड़ दें तो बाकी जगह भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही। मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस लेकिन सरकार बनी भाजपा की। इसी तरह गोवा में भी कांग्रेस बड़ी पार्टी बनी, लेकिन मुख्यमंत्री बना भाजपा का।

2018 की शुरुआत त्रिपुरा और कर्नाटक में चुनाव हुए। त्रिपुरा में BJP ने वामपंथ के किले को ध्वस्त कर दिया और राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। कर्नाटक में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन कुमारस्वामी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और 2019 में फिर से भाजपा सत्ता में आ गई। इसके अलावा मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में भी 2018 में चुनाव हुए। यहां भाजपा को कुछ खास नहीं मिला, लेकिन वह सरकार में शामिल हो गई। इन तीनों ही राज्यों में भाजपा सरकार में है।

2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही आन्ध्र प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए। इसमें आंध्र और सिक्किम में खाता नहीं खुला। ओडिशा में BJP पहले से मजबूत हुई। जबकि, अरुणाचल में खुद के दम पर भाजपा की सरकार बनी। अगले साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुड्डुचेरी और असम में चुनाव होने हैं। इसमें से असम में भाजपा सरकार में है। पश्चिम बंगाल में वह टीएमसी को कड़ी टक्कर दे रही है, जबकि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यहां कमल खिलता है या नहीं।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश में भाजपा की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह मैन ऑफ द मैच। इसके बाद भाजपा की पॉलिटिकल स्ट्रेटजी बदल गई।
क्या फ्लाइट में सफर करना मुश्किल भरा होगा? जानें कोरोना के दौर में क्या बदलने वाला है?

कोरोनावायरस ने किसी इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, तो वो है एविएशन। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि कोरोना की वजह से दुनियाभर की एविएशन इंडस्ट्री को अभी तक 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

भारत समेत कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई हैं। यही वजह है कि कोरोना के असर से इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA एक नया प्लान लेकर आई है और वो है कोविड पासपोर्ट। ये क्या है? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा? आइए जानते हैं...

कोविड पासपोर्ट क्या है?
दरअसल, IATA एक मोबाइल ऐप पर काम कर रहा है, जो दुनियाभर में ट्रैवल पास की तरह समझा जाएगा। इस ऐप को कोरोना की वजह से लाने का प्लान है, इसलिए इसे कोविड पासपोर्ट कहा जा रहा है। IATA के इस ऐप में यात्री के कोरोना टेस्ट, उसे वैक्सीन लगी है या नहीं (वैक्सीन आने के बाद) जैसी जानकारी होगी। इसके साथ ही इस ऐप में यात्री के पासपोर्ट के ई-कॉपी भी होगी।

इस ऐप पर यात्री का QR कोड होगा, जिसे स्कैन करते ही उसकी सारी डिटेल सामने आ जाएगी। ये ऐप IATA के मौजूदा टाइमैटिक सिस्टम पर बेस्ड होगी, जिसका इस्तेमाल डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करने के लिए होता है। इसके साथ ही ये ऐप ब्लॉक-चैन टेक्नोलॉजी पर काम करेगा और इसमें यूजर का डेटा स्टोर नहीं होगा।

इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
इसकी जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि इंटरनेशनल फ्लाइट से आने वाले पैसेंजर्स कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। चीन की वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पिछले दिनों शंघाई में कई कोरोना पॉजिटिव केस आए। इनमें से कई ऐसे थे जो यात्रा करके लौटे थे।

9 नवंबर से भारत और ओमान के बीच एयर बबल एग्रीमेंट के तहत इंटरनेशनल उड़ान शुरू हुई। इस दौरान भी कई यात्री पॉजिटिव निकले, जिसके बाद सीटों की संख्या 10 हजार से घटाकर 5 हजार कर दी गई।
वहीं, हॉन्गकॉन्ग ने भी कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद 3 दिसंबर तक एयर इंडिया की फ्लाइट पर रोक लगा दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में आने वाले हर व्यक्ति के लिए RT-PCR टेस्ट कराना जरूरी कर दिया है। फिर चाहे वो बस से आए या ट्रेन से या फ्लाइट से।

इंटरनेशनल फ्लाइट से कोरोना पॉजिटिव आने के बाद IATA को एक ऐसे ऐप की जरूरत महसूस हुई, जो यात्री के कोरोना टेस्ट से लेकर उसकी हर डिटेल बता सके। ताकि दोबारा से इंटरनेशनल फ्लाइट को सही तरह से शुरू किया जा सके और बार-बार इन्हें रोकने की जरूरत न पड़े।

क्या और भी कोई कारण?
हां। कोरोना की वजह से दुनिया की इकोनॉमी को झटका लगा है। एविएशन इंडस्ट्री को भी नुकसान झेलना पड़ा है। IATA के मुताबिक, कोरोना की वजह से इस साल एयरलाइन कंपनियों को 84.3 अरब डॉलर यानी करीब 6.23 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। जबकि, उनके रेवेन्यू में भी 419 अरब डॉलर (31 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा यात्रियों की संख्या भी कम हो गई। एविएशन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब पायलटों की भी नौकरियां गईं। इन्हीं सबसे उबरने के लिए ऐसी कोशिशें की जा रही हैं।

क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा?
नहीं, बल्कि इससे हवाई सफर पहले की तरह ही सेफ होगा। अमेरिका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) का कहना है कि फ्लाइट में यात्री जगह-जगह सतहों को छूते हैं। कम जगह होने की वजह से यहां सोशल डिस्टेंसिंग भी रख पाना मुमकिन नहीं है।

कुछ फ्लाइट में इन-बिल्ट एयर फिल्ट्रेशन और वेंटिलेशन सिस्टम होता है, जो किसी भी तरह के वायरस को फैलने नहीं देता और फ्लाइट के अंदर की हवा को साफ करता रहता है, लेकिन ऐसा सिस्टम हर फ्लाइट में नहीं होता। इसलिए कोविड पासपोर्ट होने से इन सारी परेशानियों से बचा जा सकेगा।

IATA कब तक इस ऐप को लॉन्च कर देगा?
इस साल इस ऐप की पायलट टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। जबकि, मार्च 2021 तक इसे एपल डिवाइस के लिए लॉन्च करने की बात कही जा रही है। वहीं, एंड्रॉयड डिवाइस के लिए इसे अप्रैल 2021 तक लॉन्च किया जा सकता है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

What Is Covid Passport, Digital Passport? International Air Transport Association Is Working On Mobile App
राजगीरे और सिंघाड़े के आटे को मिलाकर बनाना पैनकेक बनाएं, घी डालकर सेंक लें और सर्व करें

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Make Pancake by mixing Rajgire and Singharan flour, bake it with ghee and serve it hot
मुंबई के एक अस्पताल में 50% कोरोना पीड़ितों में कावासाकी के लक्षण, जानें क्या है और कैसे बचें

दुनिया भर में कोरोना के मरीजों में कावासाकी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। लेकिन अभी तक इसके लक्षण जिन कोरोना पीड़ितों में देखने को मिले, उनमें ज्यादातर बच्चे थे। कावासाकी वैसे भी बच्चों की बीमारी मानी जाती है। लेकिन क्या हो जब यह बीमारी बच्चों के साथ-साथ 40 से 60 साल के एडल्ट्स में भी दिखने लगे?

कोरोनावायरस पर अभी भी तमाम रिसर्च जारी है, बहुत सी रिपोर्ट आ भी चुकी हैं। अभी तक यह संक्रमण डॉक्टर्स और रिसर्चर्स के लिए पहेली ही बना हुआ है। हाल ही में मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल के ICU में एडमिट कोरोना के 50% से ज्यादा मरीजों में कावासाकी के लक्षण दिखे। हैरान करने वाली बात यह है कि इनकी उम्र 40 से 60 साल के बीच है।

भोपाल AIIMS की डॉ. उमा कुमारी कहती हैं कि कोरोना की वजह से इम्यून डिसऑर्डर हो रहा है। कावासाकी भी इसी वजह से होता है। यह बच्चों की बीमारी है, एडल्ट में इसके लक्षण दिखने की वजह रिसर्च का विषय है।

क्या होता है कावासाकी?

कावासाकी रोग को म्यूकोस्यूटियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है। यह बचपन में होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो ब्लड वेसल्स को प्रभावित करती है। ये त्वचा, नाक, गले और मुंह के अंदर स्थित म्यूकस मेम्ब्रेन पर प्रभाव डालती है।

कावासाकी होने पर बच्चों की पूरी बॉडी में रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है। इससे कोरोनरी आर्टरी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। यह रक्त वाहिकाएं ब्लड को हार्ट तक लेकर जाती हैं। इससे हार्ट की दिक्‍कत भी हो सकती है।

कावासाकी रोग होना कितना सामान्य है?

जापान, कोरिया और ताइवान समेत वेस्ट एशिया में कावासाकी रोग 10-20 गुना ज्यादा है। इससे पीड़ित अधिकतर बच्चे पांच वर्ष से कम उम्र के होते हैं। लड़कियों की तुलना में लड़कों में इसकी संभावना दोगुनी होती है।

कावासाकी रोग के क्या लक्षण हैं?

इस बीमारी के लक्षण कई स्टेज में उभर कर आते हैं। पहले और दूसरे स्टेज में इसका इलाज आसानी से हो जाता है। लेकिन अगर यह तीसरे या उसके बाद के स्टेज में पहुंच जाए, तो इससे उबरने में सालों लग जाते हैं। तीसरे या उसके बाद की स्टेज में इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों में कोरोना से मौत का खतरा ज्यादा, जानें क्या कहती है स्टडी?...

कावासाकी रोग का क्या कारण है?

एक्सपर्ट्स के पास अभी तक इस बीमारी के सटीक कारण के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। अक्सर कावासाकी रोग सर्दियों के अंत में होता है।

कई सिद्धांतों में इस बीमारी का संबंध बैक्टीरिया, वायरस या पर्यावरणिक वजहों से जोड़ा गया है, लेकिन अभी तक इनमें से किसी भी वजह की पुष्टि नहीं की गई है। कुछ जीन आपके बच्चे में कावासाकी रोग के फैलने की संभावना बढ़ा सकते हैं।

हार्ट के लिए खतरनाक कावासाकी

यह बीमारी हार्ट को प्रभावित करती है। कावासाकी रोग से पीड़ित ज्यादातर बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं और उन्हें किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। हालांकि, ज्यादा बढ़ जाने से यह हार्ट को बुरी तरह डैमेज कर सकता है।

फिजिकल एक्टिविटी में मास्क बेहद जरूरी, पर 90% लोग नहीं लगाते, जानें खेल को लेकर गाइडलाइन...

कोरोना से इसका क्या कनेक्शन

डॉ. उमा के मुताबिक, कोरोना में हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। उसे हम दोबारा भी मेंटेन कर सकते हैं। लेकिन बहुत से पीड़ितों में इम्यून डिसऑर्डर की समस्या भी देखी जा रही है।

इम्यून डिसऑर्डर में हमारे इम्यून सिस्टम ठीक से फंक्शन नहीं करते। इसके चलते कई बार ये अपने ही बॉडी के खिलाफ ट्रिगर कर जाते हैं।

कावासाकी भी इम्यून डिसऑर्डर से होता है। लेकिन इसे अभी पुख्ता तौर पार नहीं कहा जा सकता कि कोरोना पीड़ितों में कावासाकी के लक्षण दिखने की वजह इम्यून डिसऑर्डर है।

कोरोना के दौर में इससे भी बचना जरूरी

डॉ. उमा कहती हैं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कावासाकी के लक्षण सभी कोरोना पीड़ितों में देखने को मिल रहे है। लेकिन यह बीमारी ठंड में होती है, इसलिए इस दौर में अगर कोरोना हो जाता है, तो इसके भी होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में यह खतरा विशेष तौर पर है। इससे बचने का एक ही तरीका है कि हम खुद को मजबूत रखें।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Kawasaki symptoms in 50% corona victims in a hospital in Mumbai, know what is and how to avoid
जब दुनिया के किसी मुस्लिम देश में पहली बार चुनी गई महिला प्रधानमंत्री, सिर्फ 35 साल थी उनकी उम्र

हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में आज ही के दिन कोई महिला प्रधानमंत्री बनी थी। ये न सिर्फ पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, बल्कि किसी मुस्लिम देश की भी पहली महिला थीं, जो प्रधानमंत्री बनीं। इनका नाम था बेनजीर भुट्टो। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सबसे बड़ी बेटी थीं बेनजीर, जिनका जन्म 21 जून 1953 को कराची शहर में हुआ था।

बेनजीर भुट्टो ने अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 1977 में बेनजीर लंदन से पाकिस्तान लौट आईं। 1978 में जनरल जिया उल-हक पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। उनके आते ही बेनजीर के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो को हत्या के एक मामले में फांसी हो गई। पिता की मौत के बाद बेनजीर ने राजनीतिक विरासत को संभाला।

10 अप्रैल 1986 को उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। 1988 में एक प्लेन क्रैश में जिया उल-हक की मौत हो गई। उसके बाद 1 दिसंबर 1988 को बेनजीर पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। प्रधानमंत्री बनने से 3 महीने पहले ही उन्होंने बेटे को जन्म दिया था। जिस समय वो प्रधानमंत्री बनीं, उस समय उनकी उम्र 35 साल थी।

बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। पहली बार 1988 से 1990 तक और दूसरी बार 1993 से 1996 तक। भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने पर बेनजीर को 1999 में देश छोड़ना पड़ा था। 2007 में जब फौजी ताकत दम तोड़ रही थी और लोग लोकतंत्र के लिए आवाज उठा रहे थे, तब बेनजीर भुट्टो लौटी थीं। 27 दिसंबर 2007 को चुनाव प्रचार के दौरान उनकी हत्या कर दी गई।

लंदन के मैडम तुसाद म्यूजियम पर लगा मैडम तुसाद का मोम का पुतला।

मोम के पुतले बनाने वाली मैडम तुसाद का जन्म
1 दिसंबर 1761 को मैडम तुसाद का जन्म फ्रांस के स्ट्रासबर्ग में हुआ था। उनका नाम मैरी ग्रासहोल्ट्ज था। उनकी मां पेरिस में डॉ. फिलिप कर्टियस के यहां काम करती थीं। डॉ. कर्टियस मोम के पुतले बनाया करते थे। डॉ. कर्टियस से ही मैडम तुसाद ने मोम के पुतले बनाना सीखा। मैडम तुसाद ने 16 साल की उम्र में पहला मोम का पुतला बनाया था। उन्होंने उस समय एक फिलॉस्फर फ्रैंक्वाइस वॉल्टैयर का पुतला बनाया था।

फ्रेंच रिवोल्यूशन के दौरान उन्होंने तीन महीने जेल में भी काटे। 1794 में उन्होंने फ्रैंक्वाइस तुसाद से शादी की। 1835 में उन्होंने लंदन की बेकर स्ट्रीट पर पहला स्टूडियो खोला। 1850 में 89 साल की उम्र में मैडम तुसाद का निधन हो गया। 1884 में उनका म्यूजियम बेकर स्ट्रीट से मेरिलबोन रोड पर शिफ्ट कर दिया गया, जहां ये आज भी है।

भारत और दुनिया में 1 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:

1640 : पुर्तगाल की 60 वर्ष की गुलामी के बाद स्पेन आजाद हुआ।

1761 : मोम के पुतलों के संग्रहालय बनाने वाली मैडम तुसाद का जन्म।

1959 : दुनिया के 12 देशों ने अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर कर अंटार्कटिक महाद्वीप को तमाम सैन्य गतिविधियों से मुक्त करके वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए संरक्षित रखने का संकल्प लिया।

1959 : बाहरी अंतरिक्ष से पृथ्वी का पहला रंगीन फोटो लिया गया।

1963 : नगालैंड भारत का 16वां राज्य बना।

1965 : सीमा सुरक्षा बल (BSF) की स्थापना।

1973 : इजरायल के संस्थापक डेविड बेन गुरियन का निधन।

1987 : अफगानिस्तान में नए संविधान के अनुसार डॉ. नजीबुल्लाह को देश का राष्ट्रपति चुना गया।

1991 : एड्स डे की शुरुआत।

1990 : पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित का निधन।

2001 : अफगानिस्तान में कंधार एयरपोर्ट पर तालिबान विरोधी कबायली संगठन का कब्जा।

2008 : बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष शिवचंद्र झा का निधन।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Aaj Ka Itihas India World 1 December 2020 | Pakistan First Female PM Benazir Bhutto, BSF Establishment Year
किसान पर पुलिस की बर्बरता की फोटो कांग्रेसी प्रोपेगैंडा है? BJP आईटी सेल के हेड का दावा झूठा

क्या हो रहा है वायरल : राहुल गांधी ने 28 नवंबर को एक फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की। फोटो में एक बुजुर्ग किसान को सुरक्षा बल का जवान लाठी मारता दिख रहा है।

भाजपा आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने राहुल को जवाब देते हुए 15 सेकंड का वीडियो पोस्ट किया। वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी ने लाठी उठाई जरूर, पर किसान को लाठी लगी नहीं।

Rahul Gandhi must be the most discredited opposition leader India has seen in a long long time. https://t.co/9wQeNE5xAP pic.twitter.com/b4HjXTHPSx

— Amit Malviya (@amitmalviya) November 28, 2020

सोशल मीडिया पर अमित मालवीय द्वारा शेयर किया गया वीडियो अब इसी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि असल में पुलिस ने किसी पर लाठी बरसाई ही नहीं। भास्कर ने इस दावे की पड़ताल की।

और सच क्या है ?

राहुल गांधी ने सिर्फ एक फोटो शेयर किया। अमित मालवीय ने भी केवल 15 सेकंड का ही वीडियो शेयर किया। इंटरनेट पर हमने वीडियो के की-फ्रेम्स के जरिए वह पूरा वीडियो खंगालना शुरू किया, जिसका छोटा हिस्सा शेयर कर अमित मालवीय ने इसे प्रोपेगैंडा बताया है।

EURO News की वेबसाइट पर हमें 50 सेकंड का वीडियो मिला। इसमें देखा जा सकता है कि वृद्ध किसान पर एक के बाद एक सुरक्षा बल के 2 जवानों ने लाठी मारी। यही नहीं, इसके बाद कई अन्य प्रदर्शनकारियों को भी लाठी मारी गई।

RT के यूट्यूब चैनल पर 1:30 मिनट के इस वीडियो में भी देखा जा सकता है कि बुजुर्ग किसान के बाद कई अन्य प्रदर्शनकारियों पर भी सुरक्षा बल के जवानों ने लाठियां भांजीं।

साफ है कि भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय का ये दावा झूठा है कि वायरल फोटो में दिख रहे किसान के साथ हिंसा नहीं हुई।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

Rahul Gandhi Vs Amit Malviya BJP IT Cell; Congress leader shared Pictures On Twitter Which Farmer Beaten By Cops
हर 100 सेकंड में एक बच्चा HIV से संक्रमित हो रहा, कोरोनाकाल में 60% का ट्रीटमेंट अटका

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है, हर 100 सेकंड में एक बच्चा HIV से संक्रमित हो रहा है। पिछले साल दुनियाभर में HIV से 3,20,000 बच्चे और टीनएजर्स संक्रमित हुए। इनमें से 1,10,000 बच्चों की मौत हो गई। इसके बावजूद कोरोनाकाल में HIV के मरीजों के ट्रीटमेंट पर बुरा असर पड़ा है। मरीजों का ट्रीटमेंट छूटा और जांच भी ठप हो गई। आज वर्ल्ड एड्स डे है। इस मौके पर जानिए कोरोनाकाल में HIV मरीजों पर क्या असर पड़ा....

कोरोना और HIV मरीजों की चुनौतियां, 4 बड़ी बातें

1. इलाज और टेस्टिंग 60 फीसदी तक घटी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनाकाल में HIV यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस से संक्रमित बच्चों के इलाज और टेस्टिंग में 60 फीसदी तक गिरावट आई। एंटी-रेट्रोवायरल थैरेपी भी 50 फीसदी मरीजों को नहीं दी जा सकी। बच्चों की टेस्टिंग भी 10 फीसदी कम हुई। पिछले कुछ महीनों में हालात सुधरे हैं, लेकिन 2020 के टार्गेट से दूर हैं।

2. 73 देशों ने बताया, दवाओं का स्टॉक खत्म होने वाला है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कोरोना की वजह से एड्स की जीवनरक्षक दवाएं मरीजों तक पहुंचाने में बाधाएं आईं। WHO का एक सर्वे कहता है, 73 देशों ने चेताया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उनके यहां एड्स की जीवनरक्षक दवाओं का स्टॉक खत्म होने वाला है। 24 देशों ने कहा, उनके यहां एड्स की जरूरी दवाएं या तो बहुत कम हैं या उनकी सप्लाई बुरी तरह बाधित हुई है।

3. सबसे बुरा समय लॉकडाउन रहा
HIV के मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतें लॉकडाउन में आईं। दिल्ली, मुम्बई, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े शहरों में ओपीडी और दूसरे सेंटर बंद कर दिए गए। मुम्बई के रहने वाले अमन (बदला हुआ नाम) लॉकडाउन में दवाएं लेने एआरटी सेंटर जाने के लिए निकले लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोककर घर वापस भेज दिया। देश के कई शहरों में यही हाल रहा। बाद में सरकार ने दवाएं लेने के लिए ढील तो दी लेकिन ट्रांसपोर्ट ठप होने के कारण मरीज दवाओं से दूर रहे।

4. मरीजों में खत्म नहीं हुआ डर
HIV के मरीजों को रोज दवाएं लेना जरूरी है, ऐसा न होने पर वायरस फिर से एक्टिव हो सकता है। मरीजों को एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी की दवाएं दी जाती हैं। एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी की दवाइयों की तीन लाइन होती है। अगर किसी वजह से पहली लाइन की दवाइयां रुक जाएं तो दूसरी लाइन शुरू करनी पड़ती है। दूसरी लाइन की दवा हर अस्पताल में मौजूद नहीं होती है, इसलिए भी मरीजों डर खत्म नहीं हुआ।

एंटी रेट्रोवायरल दवाओं के 3 लाइन के फर्क को ऐसे समझा जा सकता है। HIV के मरीज का शुरुआती इलाज लाइन-1 की दवा से होता है। इसका मतलब है पहली स्टेज। जब इन दवाओं का असर कम होने लगता है तो डॉक्टर्स मरीजों को लाइन-2 यानी दूसरी स्टेज की दवाएं देना शुरू करते हैं। जब लाइन-2 की भी दवाओं का असर खत्म हो जाता है, तब मरीज को लाइन-3 की दवा खाने की जरूरत पड़ती है।

HIV के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में और सबसे कम अरुणाचल प्रदेश में
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, देशभर में 23.49 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। इसके सबसे ज्यादा 3.96 लाख मरीज महाराष्ट्र में हैं। वहीं, सबसे कम 1 हजार मामले अरुणाचल प्रदेश में हैं।

एड्स और HIV में कंफ्यूज मत हों, इसका फर्क समझें
मेडिकल फील्ड की सबसे विश्वसनीय वेबसाइट वेबएमडी के मुताबिक, एड्स की शुरुआत ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस के संक्रमण से होती है। यह वायरस असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई या ब्लड के जरिए इंसान में पहुंचता है। अगर HIV का इलाज नहीं करते हैं तो एड्स हो सकता है। एड्स HIV की सबसे खतरनाक स्टेज है।

HIV इंसान के रोगों से लड़ने की क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर करता रहता है। जरूरी नहीं है कि जिस इंसान में HIV का संक्रमण हुआ तो उसे एड्स हो। अगर लगातार ट्रीटमेंट कराते हैं तो HIV के संक्रमण को एड्स की स्टेज पर पहुंचने से रोका जा सकता है।

कब कराएं HIV टेस्ट

जिन लोगों के पार्टनर HIV पॉजिटिव हैं उन्हें यह टेस्ट कराना चाहिए। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और जिन लोगों को बार-बार अन्य बीमारियों का संक्रमण होता है, उन्हें यह टेस्ट जरूर कराना चाहिए। अगर गर्भवती मां HIV संक्रमित है तो दवाओं के जरिए बच्चे में यह वायरस जाने से रोका जा सकता है।

ये भी पढ़ें

9 सालों में एचआईवी से होने वाली मौतों का आंकड़ा 16 फीसदी तक गिरा, संयुक्त राष्ट्र ने जारी की रिपोर्ट

कोरोनावायरस के मरीजों को दिया गया एचआईवी ड्रग, रिसर्च में इसके फायदों की पुष्टि हुई

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

HIV AIDS Patients and Coronavirus Connection: Here is United Nation Latest Report