किसान आंदोलन को देखते हुए भारतीय रेलवे ने पंजाब में मालगाड़ियां नहीं भेजने का फैसला किया है। जानकारी के मुताबिक पंजाब सरकार के द्वारा अनुमति नहीं मिलने तक माल गाड़ियां नहीं आएंगी। गौरतलब है कि कई किसान यूनियनों के कार्यकर्ता रेल की पटरियों पर बैठे हुए हैं। मालगाड़ियों के नहीं आने से पंजाब को काफी आर्थिक नुकसान होने की आशंका है।
रेलवे पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल को कवर करने के लिए 50 से 70 मालगाड़ियां चलाती है। रेल डिवीजन फिरोजपुर ने 24 अक्तूबर से मालगाड़ियों की सेवाएं बंद कर दी हैं। मंडल रेल प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने कहा कि उन्हें ट्रेनें चलाने के लिए ट्रैक बिल्कुल साफ चाहिए। जब चाहें किसान ट्रैक पर धरना देना शुरू कर दें, इस तरह से ट्रेनें नहीं चलाई जा सकती हैं।
जब तक स्थिति पूर्णरूप से बहाल नहीं होती तब तक पंजाब से किसी भी मालगाड़ी का परिचालन नहीं किया जाएगा। यह रोक पहले 24-25 अक्तूबर तक थी, अब इसे 29 अक्तूबर तक बढ़ा दिया गया है। 22-23 अक्तूबर को अंबाला और फिरोजपुर डिवीजन में कुल 173 मालगाड़ियों का आवागमन किया।
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने बताया कि मालगाड़ियों को किसानों की सहमति के बाद शुरू किया था। लेकिन कहीं किसान ट्रेनों को जाने दे रहे थे तो कहीं रोक रहे थे। ऐसे में संपत्ति की नुकसान की आशंका के कारण अगले आदेश तक पंजाब के लिए माल ट्रेन का संचालन रोक दिया गया है।
केंद्र सरकार खुद ही मालगाड़ियां नहीं चलाना चाहती : पंधेर
वहीं किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसानों के कारण मालगाड़ियां बंद नहीं हुई हैं। केंद्र सरकार ने जानबूझकर मालगाड़ियां बंद की हैं और बदनाम किसानों को किया जा रहा है। केंद्र सरकार पंजाब को देश का हिस्सा नहीं मानती है।
सरवन ने कहा कि किसानों ने सभी रेल पटरियों से धरना उठा दिया है। उन जगहों पर धरना चल रहा है, जहां मालगाड़ियों की आवाजाही नहीं है। थर्मल प्लांट का ट्रैक खाली पड़ा है। केंद्र सरकार खुद ही मालगाड़ियां नहीं चलाना चाहती है।
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