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लेडी हार्डिंग और कलावती सरन अस्पताल के संविदाकर्मियों ने प्रदर्शन किया लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और कलावती सरन अस्पताल के संविदा कर्मचारियों ने शुक्रवार का अपनी मांगों को लेकर अस्पताल परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में कॉन्ट्रैक्ट के तहत काम कर रहे कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर आवाज़ उठाई गई और देशभर में चल रहे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के देश बचाओ अभियान के साथ एकजुटता जाहिर की। ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (ऐक्टू) के दिल्ली राज्य सचिव सूर्य प्रकाश ने बताया कि आगामी 9 अगस्त को केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा जेल भरो आन्दोलन किया जाएगा। अगस्त के शुरुआत से ही अलग-अलग सेक्टरों के मजदूर-कर्मचारियों के बीच कैंपेन लगातार जारी है। मोदी सरकार कोरोना से लड़ने की जगह आम जनता को धर्म-सम्प्रदाय के झगड़े में झोंककर उनके अधिकार छीन लेना चाहती है। श्रम कानूनों को तेज़ी से खत्म किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य संस्थाओं में कार्यरत अगर कोई सबसे शोषित वर्ग है तो वो स्कीम वर्कर्स और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का ही है। कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से सफाई कार्य से लेकर ऑफिस और वार्ड-ओपीडी के कई जरूरी कार्य लिए जाते हैं। लेकिन उन्हें वेतन और सुविधाएं परमानेंट कर्मचारियों के बराबर नहीं दी जाती। हर बार कॉन्ट्रैक्ट बदलने के वक्त कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने की कवायद तेज़ हो जाती है। कई बार ठेकेदार और सरकारी अफसरों द्वारा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से अवैध वसूली तक की जाती है। लेडी हार्डिंग के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद काम पर दोबारा लौट पाए हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Contractors from Lady Harding and Kalavati Saran Hospital performed

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और कलावती सरन अस्पताल के संविदा कर्मचारियों ने शुक्रवार का अपनी मांगों को लेकर अस्पताल परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में कॉन्ट्रैक्ट के तहत काम कर रहे कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर आवाज़ उठाई गई और देशभर में चल रहे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के देश बचाओ अभियान के साथ एकजुटता जाहिर की। ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (ऐक्टू) के दिल्ली राज्य सचिव सूर्य प्रकाश ने बताया कि आगामी 9 अगस्त को केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा जेल भरो आन्दोलन किया जाएगा। अगस्त के शुरुआत से ही अलग-अलग सेक्टरों के मजदूर-कर्मचारियों के बीच कैंपेन लगातार जारी है।

मोदी सरकार कोरोना से लड़ने की जगह आम जनता को धर्म-सम्प्रदाय के झगड़े में झोंककर उनके अधिकार छीन लेना चाहती है। श्रम कानूनों को तेज़ी से खत्म किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य संस्थाओं में कार्यरत अगर कोई सबसे शोषित वर्ग है तो वो स्कीम वर्कर्स और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का ही है। कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से सफाई कार्य से लेकर ऑफिस और वार्ड-ओपीडी के कई जरूरी कार्य लिए जाते हैं।

लेकिन उन्हें वेतन और सुविधाएं परमानेंट कर्मचारियों के बराबर नहीं दी जाती। हर बार कॉन्ट्रैक्ट बदलने के वक्त कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने की कवायद तेज़ हो जाती है। कई बार ठेकेदार और सरकारी अफसरों द्वारा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से अवैध वसूली तक की जाती है। लेडी हार्डिंग के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद काम पर दोबारा लौट पाए हैं।



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