मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स पॉलिसी-2019 का शुक्रवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया। यह पॉलिसी अधिसूचना की तारीख से तीन साल तक वैध होगी। केजरीवाल ने ऑनलाइन प्रेसवार्ता में बताया कि इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य दिल्ली मॉडल के तहत दिल्ली की अर्थ व्यवस्था को गति देना और प्रदूषण को कम करना है। दिल्ली में 2024 तक जितने भी नए वाहन पंजीकृत होंगे, उसमें से 25 प्रतिशत नए वाहन इलेक्ट्रिक के होंगे। आज दिल्ली में इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स का प्रतिशत केवल 0.2 प्रतिशत है केजरीवाल ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
इस पॉलिसी पर हमने पिछले ढाई साल में बहुत चर्चाएं की हैं। पूरी दुनिया की इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स पॉलिसी का हमने अध्ययन किया और उसमें से जितनी भी अच्छी-अच्छी बातें मिली, हम उन सभी बातों को इस पॉलिसी में डालने की कोशिश की है। लेकिन फिर भी हो सकता है कि कमियां रह जाएं। कोई भी चीज संपूर्ण नहीं होती है। इसमें जो भी कमियां होगी, उन कमियों को समय-समय पर हम बदलते भी रहेंगे और उसे ठीक भी करते रहेंगे।
तीन साल की मेहनत से तैयार की पॉलिसी
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सभी लोगों, विशेषज्ञों और उपभोक्ताओं से चर्चा करके, पिछले दो-तीन साल तक कड़ी मेहनत के बाद दिल्ली की इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स पॉलिसी तैयार की है। आज चीन के अंदर इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स का बहुत अच्छा काम होने की चर्चा होती है। यह पॉलिसी ऐसी है कि मुझे उम्मीद और विश्वास है कि आज से पांच साल बाद जब पूरी दुनिया के अंदर इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स की चर्चा की जाएगी, तो दिल्ली का नाम ऊपर रखा जाएगा।
केजरीवाल बोले- परिवहन मंत्री होंगे इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स बोर्ड के अध्यक्ष
दिल्ली के स्तर पर एक स्टेट इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स बोर्ड बनाया जाएगा। जिसके चेयरमैन परिवहन मंत्री होंगे। इसके अलावा, एक डेडिकेटेड ईवी सेल बनाया जाएगा, जो इस पूरी पॉलिसी को लागू करेगा। केजरीवाल ने कहा कि अगले पांच साल में हमें उम्मीद है कि दिल्ली में कम से कम 5 लाख नए इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स पंजीकृत किए जाएंगे। दिल्ली राज्य स्तर पर एक स्टेट इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स (ईवी) फंड बनाया जा रहा है। पॉलिसी को लागू कराने के लिए जो भी खर्च आएगा, वह इस स्टेट ईवी फंड से किया जाएगा।
इंसेंटिव : इलेक्ट्रिक दो पहिया, ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा और माल ढोने वाले वाहनों पर 30 हजार रुपए तक और कार पर 1.5 लाख रुपये तक सरकार इंसेंटिव देगी। यह केन्द्र सरकार के इंसेंटिव के अतिरिक्त होगा।
स्क्रैप इंसेंटिव : पुराने दो, तीन पहिया डीजल या पेट्रोल वाहन बदल कर नए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर स्क्रैपिंग इंसेंटिव मिलेगा। यह पहली बार है ,जब इस तरह की योजना भारत में कहीं शुरू की जाएगी।
कम ब्याज पर लोन: ऑटो-रिक्शा या दो, तीन पहिया व मॉल वाहक वाहन जैसे वाणिज्यिक वाहनों को खरीदने पर दिल्ली सरकार कम ब्याज दर पर लोन देगी, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को बढ़ावा मिल सके।
टैक्स और पंजीकरण शुल्क में छूट: सभी इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क की छूट मिलेगी। यह सभी इंसेंटिव फिक्स्ड चार्जिंग और बैटरी स्वेपिंग मॉडल दोनों तरह के इलेक्ट्रिक वाहनों पर लागू होगा।
सब्सिडी: सरकार घर-आधारित चार्जिंग को बढ़ावा देगी। घरों में पहले 30,000 चार्जिंग पॉइंट्स स्थापित करने वालों को सरकार सब्सिडी देगी।
जॉब्स: युवाओं को पॉलिसी के जरिए बहुत सारे जॉब मिलेंगे। इसमें ड्राइविंग, सेलिंग, फाइनेंस, सर्विसिंग, चार्जिंग आदि में नए-नए किस्म के जॉब पैदा होंगे। इसके अलावा यह नई तकनीकी है और नया काम है, तो इसके लिए युवाओं की नई ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
सरकार के एक साल के लक्ष्य: दिल्ली सरकार ने एक साल के अंदर 35,000 इलेक्ट्रिक वाहनों (2,3,4 व्हीलर्स और बसों) को शामिल करने, लास्ट माइल डिलीवरी के लिए 1000 इलेक्ट्रिक वाहन और दिल्ली में 200 सार्वजनिक चार्जिंग व स्वेपिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य है। सरकार का मकसद तीन किलोमीटर के दायरे में चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध कराना है।
यह भी होगा फायदा : दिल्ली सरकार ने पांच साल में पॉलिसी के तहत पांच लाख नए इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण का लक्ष्य रखा है।अनुमान है कि यह इलेक्ट्रिक वाहन अपने जीवनकाल के दौरान तेल और तरल प्राकृतिक गैस के आयात में लगभग 6,000 करोड़ रुपए और 4.8 मिलियन टन सीओ-2 (कार्बन डाइऑक्साइड) के उत्सर्जन से बचा जा सकता है, जो कि उनके जीवन काल में लगभग 1 लाख पेट्रोल कारों से सीओ-2 उत्सर्जन से बचने के बराबर है। वे लगभग 159 टन पीएम-2.5 के उत्सर्जन से बचने में भी मदद करेंगे।
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